चीरहरण : चेतना सोलंकी । आज साहित्य सितंबर 05, 2022 रचना शीर्षक : चीरहरण आज फिर हो रहा है चीरहरण हैं मौन सभी,हैं मौन सभी भीड़ वहां भी होगी खूब उसी तरह जैसे कि धृतराष्ट्र की थी सभा सजी है...Read More
झूटे आरोप : चेतना सोलंकी । आज साहित्य सितंबर 03, 2022 रचना शीर्षक : झूटे आरोप अब झूटे आरोपों से कोई सीता वनवास नहीं सहेगी भरी सभा में कोई द्रोपदी अब अपमान नहीं सहेगी कोई भी मीरा अब जबरन विषपा...Read More
रचना ( धरती के भगवान ) : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य अगस्त 29, 2022 धरती के भगवान यही लक्ष्य हो यही परम धर्म हो करो वंदन धरा के इन देवो का । पहन इनके आशीष का कवच रहो निर्भय है !अगर इनका आशीष हस्त तेरे ...Read More
कविता ( स्त्री ) : गुंजन गुप्ता । आज साहित्य अगस्त 28, 2022 स्त्री लोग पूजते देवी को पूजन अर्चन करते आरती ध्वजा नारियल भोग लगाते श्रद्धा से नतमस्तक होते॥ एकाकी युवती देख असुर नरभक्षी बन जाते हैं ला...Read More
कहानी ह्रदय परिवर्तन- अंकुर सिंह । आज साहित्य अक्टूबर 28, 2021 कहानी - हृदय परिवर्तन "अच्छा माँ, मैं चलता हूं ऑफिस को लेट हो रहा है। शाम को थोड़ा लेट आऊंगा आप और पापा टाइम से डिनर कर लेना...Read More
पर्व बने नर्क ~ हरिओम ' भारतीय ' बरौर । आज साहित्य अक्टूबर 26, 2021 शीर्षक - पर्व बने नर्क अरमान असीमित अंतर्मन में, अबकी अंधियार भगाऊँगा । गाँव , मोहल्ले , चौबारों में , घी के दिए जलाऊंगा । पर सत्य नही है ...Read More
रहे सबका सलामत सुहाग - गुरुदीन वर्मा । आज साहित्य अक्टूबर 24, 2021 शीर्षक -- रहे सबका सलामत सुहाग (करवा चौथ विशेष) ----------------------------------------------- रहे सबका सलामत सुहाग।...Read More
सुनहरी यादें- सर्वेश शर्मा । Aaj Sahitya अक्टूबर 23, 2021 रचना शीर्षक :- सुनहरी यादें दोपहर की धूप में,हम कभी साथ नंगे पांव,घूमते थे, सावन की वरसात में हाथ पकड़ें, हर वक्त भीगते थे कभी खाते थे अम्...Read More
माँ पर रचना - कुदसिया जमीर । आज साहित्य अक्टूबर 21, 2021 रचना शीर्षक- माँ ----- माँ! लिख रही हूँ तुम्हारी परिभाषा...... व्यक्त कर रही हूं तुम्हें शब्दों में... बहुत कोशिश के बाद भी नहीं ढाल सकी त...Read More
करवा चौथ - कवि विशाल श्रीवास्तव । आज साहित्य अक्टूबर 19, 2021 रचना शीर्षक- करवा चौथ पुराने खण्डहर के पीछे वो उसका इंतजार करेगी और वो जाएगा, कुछ इस तरह से करवा चौथ, मेरा यार मनाएगा. दिलों में एक दूसर...Read More
कविता शीर्षक- पिता ( लेखिका - कुदसिया जमीर ) | Aaj Sahitya अक्टूबर 19, 2021 कविता शीर्षक - पिता पिता एक लफ़्ज़ बहुत सख़्त सा.. एक तस्वीर.. चट्टान सी.. एक आवाज़! कभी बहुत नर्म, कभी बहुत कठोर सी.. दिल माँ की मानिंद मगर आ...Read More
तुम मिलोगी मुझे - कवि विशाल श्रीवास्तव । आज साहित्य अक्टूबर 18, 2021 नज्म / गजल शीर्षक - तुम मिलोगी मुझे...... न शायर मैं बन पाया, मिली न शायरी मुझको. लिखीं बातें तेरी मेरी, मिली न डायरी मुझको. कहूँ किस ह...Read More
रचना ( विद्रोह ) - मनुप्रताप सिंह | आज साहित्य अक्टूबर 17, 2021 रचना शीर्षक - विद्रोह लाने क्रांति के निमित्त,काव्य रचता हैं। उफनती लहरों के विद्रोह में,भाव दिखता हैं।। चलो वेदी में,स्वयं आहूत करने। ...Read More
नज्म ( मै कहाँ हुँ ) - सर्वेश शर्मा | आज साहित्य अक्टूबर 17, 2021 नज्म शीर्षक :- मैं कहां हूं इक जहर था जो शहर में काम कर गया खुद से मिले हुऐ भी,जमाना गुजर गया हवा कुछ चली इस कद्र, जो मेरे शहर में हर तरफ ...Read More
चाहने लगा हू तुझे जब से - शायर बाबर | आज साहित्य अक्टूबर 17, 2021नज्म / गजल / शायरी - चाहने लगा हु तुझे जबसे मैं मेरे पिछे सारा जमाना परा है एक तुझको अपना बनाने के खातिर दुशमनो को अपना बनाना...Read More
कोख का बटबारा - अंकुर सिंह | Aaj Sahitya अक्टूबर 17, 2021 कहानी शीर्षक - कोख का बटबारा रामनरायण के दो बेटों का नाम रमेश और सुरेश है। युवा अवस्था में रामनारायण के मृत्यु होने के बाद उनकी...Read More
कहानी आईना- अंकुर सिंह | आज साहित्य अक्टूबर 17, 2021 कहानी शीर्षक - आईना "बेटा सुनील, मैंने पूरे जीवन की कमाई नेहा की पढ़ाई में लगा दी, मेरे पास दहेज में देने के लिए कुछ भी नहीं ...Read More
कहानी - सफर से हमसफर By अंकुर सिंह | Aaj Sahitya अक्टूबर 16, 2021 कहानी / लेख - सफर से हमसफ़र ये सीट मेरी है, विजयवाड़ा स्टेशन पर इतना सुनते अमित ने पीछे मुड़कर देखा तो एक हमउम्र की लड़की...Read More
कहानी - कर भला तो हो भला By अंकुर सिंह | आज साहित्य अक्टूबर 16, 2021 कहानी - कर भला तो हो भला "क्या हुआ मोहन, इतने उदास क्यों हो? तुम तो इंटरव्यू के लिए गए थे, क्या हुआ तुम्हारी नौकरी का?...Read More
कवि रावण जला रहा - कवि विशाल श्रीवास्तव | Aaj Sahitya अक्टूबर 16, 2021 रचना शीर्षक- कवि रावण जला रहा. कैसे खुश हों लोग वो रावण के दहन पर, जिनका धंधा आजकल रावण चला रहा. रावण की तरफदारी में कुछ लोग घूमते, पैर ...Read More