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रचना ( धरती के भगवान ) : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य

अगस्त 29, 2022
  धरती के भगवान यही लक्ष्य हो यही  परम धर्म हो  करो वंदन धरा  के इन देवो का । पहन इनके आशीष का कवच  रहो निर्भय  है !अगर इनका आशीष हस्त तेरे ...Read More

कविता ( स्त्री ) : गुंजन गुप्ता । आज साहित्य

अगस्त 28, 2022
  स्त्री लोग पूजते देवी को पूजन अर्चन करते आरती  ध्वजा नारियल भोग लगाते श्रद्धा से नतमस्तक होते॥ एकाकी युवती देख असुर नरभक्षी बन जाते हैं ला...Read More

पर्व बने नर्क ~ हरिओम ' भारतीय ' बरौर । आज साहित्य

अक्तूबर 26, 2021
  शीर्षक - पर्व बने नर्क अरमान असीमित अंतर्मन में, अबकी अंधियार भगाऊँगा । गाँव , मोहल्ले , चौबारों में , घी के दिए जलाऊंगा । पर सत्य नही है ...Read More

करवा चौथ - कवि विशाल श्रीवास्तव । आज साहित्य

अक्तूबर 19, 2021
  रचना शीर्षक- करवा चौथ पुराने खण्डहर के पीछे वो उसका इंतजार करेगी और वो जाएगा,  कुछ इस तरह से करवा चौथ,  मेरा यार मनाएगा. दिलों में एक दूसर...Read More

कविता शीर्षक- पिता ( लेखिका - कुदसिया जमीर ) | Aaj Sahitya

अक्तूबर 19, 2021
  कविता शीर्षक - पिता पिता एक लफ़्ज़ बहुत सख़्त सा.. एक तस्वीर.. चट्टान सी.. एक आवाज़! कभी बहुत नर्म, कभी बहुत कठोर सी.. दिल माँ की मानिंद मगर आ...Read More

तुम मिलोगी मुझे - कवि विशाल श्रीवास्तव । आज साहित्य

अक्तूबर 18, 2021
  नज्म / गजल शीर्षक - तुम मिलोगी मुझे......  न शायर मैं बन पाया,  मिली न शायरी मुझको. लिखीं बातें तेरी मेरी,  मिली न डायरी मुझको. कहूँ किस ह...Read More

रचना ( विद्रोह ) - मनुप्रताप सिंह | आज साहित्य

अक्तूबर 17, 2021
  रचना शीर्षक  -  विद्रोह लाने क्रांति के निमित्त,काव्य रचता हैं। उफनती लहरों के विद्रोह में,भाव दिखता हैं।।  चलो वेदी में,स्वयं आहूत करने। ...Read More

नज्म ( मै कहाँ हुँ ) - सर्वेश शर्मा | आज साहित्य

अक्तूबर 17, 2021
  नज्म शीर्षक :- मैं कहां हूं इक जहर था जो शहर में काम कर गया खुद से मिले हुऐ भी,जमाना गुजर गया हवा कुछ चली इस कद्र, जो मेरे शहर में हर तरफ ...Read More

चाहने लगा हू तुझे जब से - शायर बाबर | आज साहित्य

अक्तूबर 17, 2021
नज्म / गजल / शायरी -    चाहने  लगा  हु  तुझे  जबसे  मैं मेरे  पिछे  सारा  जमाना  परा  है एक तुझको अपना बनाने के खातिर दुशमनो को  अपना  बनाना...Read More

कवि रावण जला रहा - कवि विशाल श्रीवास्तव | Aaj Sahitya

अक्तूबर 16, 2021
  रचना शीर्षक- कवि रावण जला रहा. कैसे खुश हों लोग वो रावण के दहन पर,  जिनका धंधा आजकल रावण चला रहा. रावण की तरफदारी में कुछ लोग घूमते,  पैर ...Read More
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