झूटे आरोप : चेतना सोलंकी । आज साहित्य
रचना शीर्षक : झूटे आरोप
अब झूटे आरोपों से कोई सीता
वनवास नहीं सहेगी
भरी सभा में कोई द्रोपदी अब
अपमान नहीं सहेगी
कोई भी मीरा अब जबरन
विषपान नहीं करेगी
आग लगी है सीनेमे मेरे हां
हाल नारी का देखकर
आज कोई पद्मावती
जोहर नहीं करेगी
लड़ेगी, बढ़ेगी, पढ़ेगी
व्यंग्यों से नहीं रुकेगी ।।
लेखिका : चेतना सोलंकी
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