तेरे संग : चेतना सोलंकी । आज साहित्य
रचना शीर्षक : तेरे संग
एक सपना सुहाना देखा था
कभी तेरे संग जमाना देखा था
फूलों की खुशबू जानी थी
भंवरे का मंडराना देखा था
सांसों से भीगी खुशबू का
मौसम वो सुहाना देखा था
कभी तेरे संग जमाना देखा था
हर रंग में तेरी तस्वीर थी
तेरे चेहरे में खुद को देखा था
मीठी सी मुस्कान थी लबो पर
खुद को तेरे नाम से पहचाना था
कभी तेरे संग जाना देखा था
एक सपना सुहाना देखा था ।
लेखिका : चेतना सोलंकी
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