लेखिका कृतिका किरण की 15+ रचनाएं यहां पढ़े । Hindi Rachnaen
आपको इस Blog में लेखिका कृतिका किरण ( Kritika Kiran ) की कुछ रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी । कृतिका किरण एक लेखिका है और अपनी रचनाएं सोशल मीडिया पर सभी के साथ शेयर करती है । आप रचनाएं पढ़ने का शौक रखते है तो हमारा ब्लॉग आप लोगों के लिए ही बना है । हम विभिन्न लेखकों की रचनाओं का संग्रह करते है और आप लोगों के लिए यहां प्रकाशित करते है । कृतिका किरण ( Kritika Kiran ) अभी नई युवा पीढ़ी की लेखिका है । आप उनकी रचनाओं को पढ़कर कॉमेंट जरूर करें ।
(1)
किसी की सुन्दरता को समझने के लिए
ज़रूरी है उसके दुःख का समझा जाना
चेहरों पर बसता नूर
असल में
रोशनी की वह किरण है
जो पानी के एक बूँद से हो कर गुज़रती है
पारदर्शी दीवारों में क़ैद मछलियाँ
यूँ तो सबको दिखती हैं,
लेकिन उनकी आँखों का पानी
सबको नहीं दिखता..।
- कृतिका किरण
__
( 2 )
वे
बाँधना चाहते हैं मुझे
लय में
छंद में
बहर में
ताकि कहला सकूँ मैं
सभ्य…
भूल जाते हैं वे
कि
प्रकृति बाँधी नहीं जा सकती
वह ख़ूबसूरत है
क्योंकि
वह असभ्य है, अल्हड़ है
आज़ाद है..
जैसी है यह कविता…
- कृतिका किरण
__
( 3 )
पूजनीय होती हैं गायें
तब तक
जब तक
किसी के आँगन के खूँटे से
बँधी होती हैं;
इन गायों को
मिलती है इज़्ज़त
घर की पहली रोटी
और मालिकों की रक्षा
सड़क पर टहलती
गायों को नहीं पूजता कोई
न ही मिलती है उन्हें
एक समान इज़्ज़त;
मिलता है भी अगर कुछ
तो बस
हर जगह से दुत्कार
घरों का बचा-खुचा अनाज
और अंततः एक पीड़ापूर्ण मौत...
यह समाज
हमारा माननीय समाज!
बरसों से रहा है प्रतीक
पाखंड का..
ठीक वैसे ही
जैसे ये गायें..
ये बेचारी मासूम-सी गायें
रही हैं आदर्श लड़कियों की..!
_ कृतिका किरण
___
( 4 )
मैं प्रेम में
तुम्हारे माथे का
मुकुट बन सकती हूँ
बनने को तो
मैं बन सकती हूँ
तुम्हारे तलवे का कवच भी
नदी, पहाड़, हवा, पानी
वह सब हो सकती हूँ
जिसकी तुम्हें ज़रूरत है
होने को तो मैं
‘तुम’ भी हो सकती हूँ...
लेकिन प्रिय,
मुझे माफ़ करना!
इस जीवन में
नहीं हो पाऊँगी मैं
सहूलियत...
अपनी ही दुनिया में
एक विकल्प मात्र!
_ कृतिका किरण
_____
( 5 )
कितनी सी ही तो दुनिया है मेरी
इतनी कि जितने..
तुम हो..
मेरी अदावतें भी तुम से हैं जानां,
मेरी मोहब्बत भी...
तुम हो!
__
( 6 )
ज़िन्दगी के ना जाने कितने पल
टाँग रखे हैं
"कल" की खूँटी पर
यह जानते हुए कि
कल, आज और कल की
ये खूँटियाँ बहुत छोटी हैं
ज़िन्दगी जितनी
- कृतिका किरण
_______
( 7 )
किसी क्रांतिकारी का
सबसे बड़ा हथियार
नहीं होती हैं बंदूकें, बम या तोप...
क्रांतिकारी
विचारों से बनते हैं
जो आती है नैतिकता से
सत्य से
प्रेम से
और
किताबों से!
- कृतिका किरण
____
( 8 )
"तुम्हारे शहर के बदलते
हर एक मौसम का
असर दिखता है
मेरे शहर के आसमान पर
यह बरसात तो फिर भी
व्यक्तिगत है!"
~ कृतिका किरण
_____
( 9 )
छोटे शहरों में
प्रेम में पड़े
अंतर्जातीय जोड़ों को
नहीं दी जाती
मौत के बाद
दो गज ज़मीन...
उन जोड़ों को
दे दी जाती है
एक कॉलम भर जगह...
शहर के सबसे प्रचलित
अख़बारों से लेकर
प्रेम पर लिखी गई किताबों तक!
- कृतिका किरण
_______
( 10 )
कविताओं में
लेखों में
किताबों में
लोकतंत्र संपन्न लगता है
सरल, सहज, सुंदर....
चारदीवारियों में
बस्तियों में
सड़कों पर
लोकतंत्र अपूर्ण मिलता है
कठिन, कृत्रिम, कुरूप....
प्रेम लोकतंत्र है!
- कृतिका किरण
____
( 11 )
छत को
फ़र्श से
अलग कर देती हैं
इस कमरे की चार दीवारें
ठीक वैसे ही
जैसे
अलग कर देते हैं
तुम्हें और मुझे
इस समाज के चार लोग!
- कृतिका किरण
___
( 12 )
लानत है
हर उस शख़्स पर
जिसने मोहब्बत के बदले
तुमसे दग़ा किया
वो नहीं जानते
कसक
तुमसे मोहब्बत के बदले
मोहब्बत ना मिलने की!
- कृतिका किरण
____
( 13 )
शीर्षक "कला ख़तरे में है"
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ईश्वर का हवाला दे कर
कला पर लाठी उठाना
स्वयं ईश्वर पर लाठी उठाने जैसा है
वो ही ईश्वर
जो इस पूरे ब्रह्माण्ड का
सबसे पहला कलाकार है
वो जिसकी एक रचना तुम हो
और दूसरी - 'हम'
कला और मैं!
- कृतिका किरण
____
( 14 )
पिंजरे में क़ैद
परिंदे
के कदम सलाखों को
पार नहीं कर सकते...
पर इस भय से
अपनी क्षमता की
आख़िरी रेखा तक ना पहुँचना
ख़ुदग़रज़ी मानी जायेगी
और पीछे हटना...
कायरता..
प्रेम में
बढ़ाया गया हर एक कदम
प्रतीक है - जुनूनियत का
जिसे अपनी सहूलियत के हिसाब से
पीछे खींच लिया जाना
कोई समझदार विकल्प नहीं
बल्कि
क्रूरता है!
- कृतिका किरण
_____
( 15 )
तुम्हारे और मेरे
मन के बीच
अठखेलियाँ
करता है यह
आकर्षण..
आकर्षण की ताक़त
इतनी है कि
वह थाम लेता है
आकाश को
धरती के ठीक ऊपर
धरती और आकाश
के बीच पलता प्रेम
आदर्श है..
दो प्रेमियों के बीच
कई ज़िंदगियाँ रहती हैं!
प्रेम कितना निःस्वार्थ है न?
सबका मन रख लेता है
सिर्फ़ एक
अपना मन
त्याग के
क्या हो..
अगर आकाश बग़ावत कर
धरती से आ मिले
या धरती छोड़ कर सबकुछ
चूम ले आकाश को?
हर शाम
मैं निहारती हूँ क्षितिज
जहाँ आभासी मिलन होता है
धरती और आकाश का..
तुम्हारा और मेरा!
- कृतिका किरण
______
( 16 )
अलग अलग लोगों में
अलग अलग समीकरण
हो सकते हैं
पर प्रेम?
प्रेम -- ईश्वर है!
ईश को चाहे
जिस नाम से बुलाया जाए
जो रूप दे दिया जाए
वो वही रहते हैं
सदा एक से!
प्रेयसी को राधा बुलाने वाले
तुम जानते तो हो ना
राधा, कन्हा की है
और इसके लिए तुम्हें पहले
ईश्वर होना होगा!
- कृतिका किरण
हम उम्मीद करते है की आपको कृतिका किरण की रचनाएं अच्छी लगी होंगी । हम ऐसे ही बहुत सारे लेखक और लेखिकाओं के विचारो और रचनाओं को हमारे ब्लॉग पर लाते है । आप यहां नए युवा पीढ़ी के बहुत से लेखक और रचनाकारों के विचारो को और रचनाओं को पढ़ सकते है ।हमारी कोशिश है की आप हमारे द्वारा शेयर की जाने वाली रचनाओं में रुचि रखें ।
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