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रचना ( धरती के भगवान ) : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य


 

धरती के भगवान


यही लक्ष्य हो यही 

परम धर्म हो 

करो वंदन धरा 

के इन देवो का ।

पहन इनके आशीष का कवच  रहो निर्भय 

है !अगर इनका आशीष हस्त तेरे सिर पर 

बाल भी बांका कोई 

कर नहीं सकता ।

है आज  भी जरूरत 

श्रवण कुमार

और एक राम की ।

इस सत्य को 

झूठला नहीं सकते 

सेवा करूं तो जीवन संवर जाए ,याद करू तो हृदय चंदन बन जाए।

हर एक बात अच्छी मेरे माता-पिता की और तेरे भी 

 जो अपना लूं मैं और तुम भी ,

 तो जीवन संवर जाए।

मेरा भी और तेरा भी 

राष्ट्र भी संवर मुस्कुराएगा।

करो महिमा  वंदन  धरा के देव का।

 माता पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं।

है वो ही इस धरा के देव 

हर हाल में रखो उनका मान।

बात यह बस तुम बांध लो गांठ,

मां बाप से बड़ा इस धरती पर नहीं कोई दूजा।

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लेखिका : डाक्टर महिमा सिंह

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