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चुटकी में समाये रिश्ते : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य


 

चुटकी में समाये रिश्ते।


एक कप चाय, एक चुटकी हौसला,

घोलती है रिश्तो में अनोखी  सी मिठास।

मिठास हैं श्रृंगार हर रिश्ते का ,

हर रिश्ता चाहे बस प्यार।

भाई बहन का प्यार बंधता मजबूती से आखिरी सांस तक,

एक कच्ची रेशम की डोरी से ।

 सात फेरों का गठबंधन, बाँधे दो कुलो को ।

एक मीठा बोल सर्दी के 90 दिनो को ऊष्मा से भर देता है। 

एक चुटकी पिता की डांट ,

एक चुटकी मां की झिड़की, एक चुटकी भाई की तकरार

एक चुटकी दोस्तो के ताने एक चुटकी जीवनसाथी की मनुहार और तकरार है , 

सब  आपकी चुटकी में ही  छुपा ,

 वो खास अंदाज !

घोलता जो रिश्तों में अजब सी मिठास |

एक चुटकी परवाह,

एक चुटकी हँसी, एक चुटकी सांमजस्य ,

लो हो गया तैयार एक परफेक्ट कप, रिश्तो की मिठास का।

जिसने इसको सहेज लिया, उसने सब कुछ पा लिया।

ये चुटकी बड़े काम की रखना इसे हृदय के खजाने

 में बड़े जतन से।

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लेखिका : डाक्टर महिमा सिंह

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