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तुम मिलोगी मुझे - कवि विशाल श्रीवास्तव । आज साहित्य


 

नज्म / गजल शीर्षक - तुम मिलोगी मुझे...... 


न शायर मैं बन पाया, 

मिली न शायरी मुझको.


लिखीं बातें तेरी मेरी, 

मिली न डायरी मुझको.


कहूँ किस हाल में बातें, 

घुटन है कायरी मुझको.


कभी रोना न चाहा था, 

रुला गई शायरी मुझको.


जश्न ए शायरी ये है, 

कहूँ आज शायरी तुझको.


बड़े अरसे के बाद आज, 

मिली है डायरी मुझको.


दिखाऊंगा सारी यादें, 

मैं दूंगा डायरी तुझको.


-: कवि विशाल श्रीवास्तव

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