तेरे संग : चेतना सोलंकी । आज साहित्य सितंबर 03, 2022रचना शीर्षक : तेरे संग एक सपना सुहाना देखा था कभी तेरे संग जमाना देखा था फूलों की खुशबू जानी थी भंवरे का मंडराना देखा था सांसों से भीगी खु...Read More
विपल्व : गुंजन गुप्ता । आज साहित्य अगस्त 29, 2022विपल्व इन नग्न आँखों से देखते हुए विप्लव को कर रही हूँ महसूस स्वयं को असहाय सी सर्पों सी फ़ुफ़कारती नदियों की लहरों का और लहराती हुईं उनकी ...Read More
चुटकी में समाये रिश्ते : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य अगस्त 29, 2022 चुटकी में समाये रिश्ते। एक कप चाय, एक चुटकी हौसला, घोलती है रिश्तो में अनोखी सी मिठास। मिठास हैं श्रृंगार हर रिश्ते का , हर रिश्ता चाहे ब...Read More
रचना ( धरती के भगवान ) : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य अगस्त 29, 2022 धरती के भगवान यही लक्ष्य हो यही परम धर्म हो करो वंदन धरा के इन देवो का । पहन इनके आशीष का कवच रहो निर्भय है !अगर इनका आशीष हस्त तेरे ...Read More
रचना ( चांद ) : डॉक्टर महिमा सिंह । आज साहित्य अगस्त 29, 2022 चांद चांद भटकता क्यूं रहता हैं, रुक क्यों नहीं जाता रात के आगोश में, बादलों के झुरमुट में, तलाश में रहता है रहबर की जो वादा करके आने का ब...Read More
कविता ( स्त्री ) : गुंजन गुप्ता । आज साहित्य अगस्त 28, 2022 स्त्री लोग पूजते देवी को पूजन अर्चन करते आरती ध्वजा नारियल भोग लगाते श्रद्धा से नतमस्तक होते॥ एकाकी युवती देख असुर नरभक्षी बन जाते हैं ला...Read More
क्यों नहीं आती तुम - विनोद ध्रब्याल राही अगस्त 23, 2022 रचना शीर्षक : क्यों नहीं आती तुम मिलते थे रोज जहाँ आँखों से आँख बचाकर दिल में उमंगें ढेरों सपने सजाकर वीराना पसरा हैं मिलन ...Read More