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सपने मे सच्चाई - कवि विशाल श्रीवास्तव | Aaj Sahitya

जिस प्रकार स्वर्ग में अप्सराएँ होती हैं उसी तरह से नर्क में डायनें होती हैं. स्वर्ग में उस दिन अवकाश था तो कवि को नर्क में कुछ यम ले गये और कवि सहर्ष यमों के साथ चला गया.तब उस नर्क की डायन के पास कवि ने कुछ क्षण रुककर देखा और उसकी दशा पर कुछ पंक्तियाँ लिखीं.


पढ़िए और आनंद लीजिए.

रचना - सपने में सच्चाई 


जो जी रहे हैं अपनों में ही भौंक भौंक कर, 

हमें उनकी बौरानी हुई ...एरिया बता रही थी.


न दिल में है मोहब्बत बुद्धि भी कतई नहीं, 

अपनों को ही बेरहमी से वो सता रही थी.


कवि चुप ही रहा अल्पज्ञानी की सारी बातों पर, 

मेरे जाने के बाद अपनों पर वो गुर्रा रही थी.


शायद नहीं पता उसे कि कौन है कवि, 

अनजाने में तो खूब हेकड़ी दिखा रही थी.


खुदको नहीं आती अनुशासन की वर्णमाला, 

अनुशासन की इमला वो औरों को सिखा रही थी.


- कवि विशाल श्रीवास्तव.

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