दहेज की लालच एक बीमारी है - शायर बाबर , बहुआरा बुजुर्ग | Aaj Sahitya
रचना शीर्षक - दहेज की लालच एक बीमारी है
बेटिया ही जीनत है घर की
बेटीया हीं घर की रानी है
कर रहा हूं जो मैं हक्क बात बया
ना समझो के ये कोई कहानी है
दहेज जैसे महा बीमारियो को
अपने समाज से ज़र से मेटानी है
कई बेटियाँ जल गये यहा पर
दहेज की वो लानात निशानी है
बेचते है बेटो को करते वो मनमानी है
हर घर की अब बस यही काहानी है
खुद कामा कर जब सौख न कर सका
तो सोच कैसा तेरी ये जबानी है
जो समझ गया इस दुनिया को
तो समझो वो बारा ज्ञानी है
जो ना समझ सका इस दुनिया ये फानी को
तो समझो मारी उसके आंख की पानी है
- शायर बाबर
बहुआरा बुजुर्ग. दरभंगा बिहा
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