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मत भूल सनातन : कवि विशाल श्रीवास्तव

रचना शीर्षक: - मत भूल सनातन


आप और हम जन्म के समय मूक थे

वाणी वागेश्वरी ने नवाज़ी हमें

जिसकी रहमत से उड़ने लगे आज तुम,

उसको एकदम भुलाना गलत बात है।



राम के नाम से अब वो जलने लगे

राम फिर भी उन पर मेहरबान हैं

कल को हो जाएंगे फिर फ़कीर आदमी,

राम को भूलना तो गलत बात है।


विष पिया जग की खातिर अकेले स्वयं

शिव समाए हैं सबके दिलों में यहां

है कृपा सबपे मेरे भोलेनाथ की 

झूठे आंसू बहाना गलत बात है।


प्रेम जीवन में सीखा कन्हैया से है

जग की खातिर उठा ले जो पर्वत बड़ा

प्रेमियों जिसने प्रेम पढ़ाया हमें

उसपे नफ़रत दिखाना गलत बात है।


लेखक / कवि : कवि विशाल श्रीवास्तव

जलालपुर ,फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)

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