नववर्ष 2022 पर रचना : कवि अरुण चक्रवर्ती
नूतन वर्ष पे नये इरादों का चयन करो
नव वर्ष पे नये शब्दों का चयन करो
कठोरता,अशब्दों का अब त्याग करो
लो संकल्प हर खुशियों का जतन करो
सभी रिश्तों में खुशियों का चमन करो
सारी बुराइयों को जमीं में दफन करो
शत्रुता भूल के 2022 का स्वगात करो
ईश्वर से है प्रार्थना घर-घर में अमन करो
नई तरंग हो नई उमंग हो अब जीवन में
अंधकार छट जाये जोश भर लो तन में
निराशा के दीप बुझा दो अपने मन में
आशा के दीप जलाओ अपने आंगन में
2022 वर्ष में खुशियाँ बांटो जन-जन में
नही आये कोई सैयाद खुशी के चमन में
करो संकल्प फिर से उड़ेगें खुले गगन में
करते हैं प्रण न हारे हैं न हारेंगे जीवन में
कभी न आये 2020 ,2021 जैसा साल
जिसने सभी लोगों को कर दिया बेहाल
नई सुबह है जीवन का भी नया हो सवाल
अब हर मानव का जीवन हो जाये बहाल
अपने घर को खुशहाली का उपवन बनाएं
सूर्य की किरणों सा तेज अपने अंदर फैलाएं
ठानों कुछ नया करने की कुछ करके दिखाएं
कहता है कवि 2022 में अपना यश फैलाएं
रचनाकार :- कवि अरुण चक्रवर्ती { गुरसहायगंज , कन्नौज ( उत्तर प्रदेश) }
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