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रचना प्रेम - कवि विशाल श्रीवास्तव | आज साहित्य


रचना -  प्रेम... 


कवि के प्रेम को, 

अस्वीकृति मत देना, 

कवि का प्रेम अलौकिक होता है.


प्रेयसी मन में, 

करो मनन, 

यहाँ कौन किसी का होता है.


कवि जब तक जीवित है, 

साथ रहेगा तेरे, 

कवि गली गली में बीज ज्ञान के बोता है.


अंतिम क्षण में , 

इतना ही कहना, 

अब भी तेरी याद में कवि रोता है.


- कवि विशाल श्रीवास्तव

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