वसंत आ रहा है , जिन्दगी , खुशबू - रवींद्र कुमार | आज साहित्य
वसंत आ रहा है.....
आ रही हवाएं महकी हुई
सूरज बतिया रहा है
जाने क्या खास बात है
सच, वसंत आ रहा है।
कलियां मुस्कुराने लगीं
पत्ते डाल छोड़ने लगे
भौंरे गुनगुनाते लगे
फूलों पर मंडराने लगे।
स्वर लहरी आ रही है
दूर कोई गा रहा है
सच, वसंत आ रहा है।।
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जिंदगी.....
कौन कहता है जिंदगी
एक बार मिलती है
जिंदगी रोज मिलती है
जीने का सलीका चाहिए
सिर्फ, मौत एक बार मिलती है।।
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खुशबू--कुछ शब्द...
हर एक रंग में अजब खुशबू है
तुम जो लगा लो महकने लगे।।
मैंने जब भी छुआ है रंगों को
उसमें तेरी खुशबू ही पाया है।।
तुमने फूलों से रंग चुराकर
उसमें अपनी खुशबू बसा दी है।।
कौन कहता है रंगों में खुशबू नहीं होती
तुमने कभी खुशबू का रंग देखा है।।
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- रवीन्द्र कुमार , पुणे महाराष्ट्र
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