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कलम का दर्द , नज्म - सर्वेश शर्मा की रचनाएँ पढें | आज साहित्य

आप लेखक सर्वेश शर्मा की नज्म गजल और रचनाएँ पढ़ रहे है सर्वेश शर्मा का जन्म 5- फरवरी -1962 को बठिंडा ( पंजाब ) में हुआ । पिता का नाम श्री राम गोपाल शर्मा है ।


रचना -🥀कलम का दर्द🥀

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आज मेरी कलम से,,,,उसके

' खोल में छुपे, असीम दर्द में डूवे,,," 


लाल स्याही" वने हुऐ 

"लहू" ने कहा,,,,तूं आज

 मुझसे  कागज के सीने पर,,


अपनी चुभती नोक से,,

छेदकर 


छटपटाते दिल की

वेदना भरे

चंद लफ्जों को उतार

क्यों नहीं पा रही हो,,,,?


कलम ने अपनी नोक 

से  लहू के चंद कतरे

कागज के सीने पर


छिड़कते हुऐ कहा

जरा गौर से देखो


आज ममता वरसाने वाले

होंठों से कुछ जहर

बुझे तीरों से  इस लाल लहू

के कतरों का काला हुआ


रंग मेरी नोक पर जम गया

है,अब शायद ही

मुझसे अल्फाज 

निकल कर कागज पर उतर पायेंगें


शायद ये जहर वुझे तीर

 मेरे अल्फाजों के साथ साथ 

मुझसे मेरे

 लफ्जों के जन्मदाता की

जान ही निकाल कर

उसकी जिंदगी ही न छीन ले

 

- सर्वेश शर्मा

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 नज्म

 

तेरी याद में जो आंख भर आई

रोक लिया आंखं में ही अश्कों को

हरेक बूंद में ही तूँ नजर आई

           

पलक से लुढ़क के जो आ जाती

वो बूंद मचल कर गालों पे मेरे

तेरी कसम होती तेरे प्यार की रूसवाई

      

स्वाति सी वूंद न गिर सकी हथेली पे

पपीहे की चोंच रही प्यासी न भर पाई

        

प्यार में पानी की बूंद नही पी सकता

तेरी पलकों की वदली भी न वरस पाई

            

प्यास से विन वूंद स्वाति मिले जान देदेगा

जल विन तड़प तड़प है जान भी गवांई

            

प्यार चंदा का चकोर से,है वूंद स्वाति का

पपीहे से अमर,तड़प के विरह में विना

        

जल झुलसाती ज्येठ की दोपहरी में

देखे हर कोई पपीहे की गर्दन लुढ़काई

        

मरना मंजूर है न पिये और बूंद कोई

है आशिक ईश्क में न होता है वो हरजाई

ऐसे साजन ने सखी से है प्रीत निभाई


 ~ सर्वेश शर्मा

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