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जा रहा हूँ मै नदी के साथ बहता , पढ़िए कवि विशाल श्रीवास्तव की चुनिंंदा रचनाएँ गीत और गजल | आज साहित्य

 


यहाँ आप कवि विशाल श्रीवास्तव द्वारा गई गीत , गजल और रचना पढ़ रहे है । आज साहित्य परिवार नए लेखकों की रचनाएँ आप तक पहुंचाता है  कवि विशाल श्रीवास्तव जलालपुर, फर्रुखाबाद ,उत्तर प्रदेश से है 


गीत - नदी के साथ बहता

जा रहा हूँ मैं, 

नदी के साथ बहता। 

कह रही मुझसे नदी जो, 

आपसे वो बात कहता। 


इस नदी में बह रहे, 

संग संग कीचड़ और फूल। 

पूज्य है तट के किनारे, 

ऋषियों के चरणों की धूल। 


पार होता है वही जो, 

चोट लहरों की सहता। 

जा रहा हूँ मैं, 

नदी के साथ बहता। 


दौलत का कर अहं, 

जो आए नहाने। 

पाप के बजाय, 

पुण्यों को बहाने। 


पार न पाओगे ऐसे, 

बात ये मैं तुमसे कहता। 

जा रहा हूँ मैं, 

नदी के साथ बहता। 


आती रहती है नदी में, 

आंधी तूफानों से लहर। 

दूसरे भी ढाएंगे, 

आप पर अपना कहर। 


बचता है वो ही यहाँ, 

जो मजबूती के साथ रहता। 

जा रहा हूँ मैं, 

नदी के साथ बहता। 


बनालो स्तम्भ इस नदी में, 

पुण्य राम नाम से। 

मिलाएंगे स्तम्भ ही, 

उस पार हरिधाम से। 


पुण्यफल पाता वही जो, 

राधे कृष्णा और जय सियाराम कहता। 

जा रहा हूँ मैं, 

नदी के साथ बहता। 


- कवि विशाल श्रीवास्तव 

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गजल- फर्रुखाबाद का लड़का


इश्क़ करना ही चाहो गर फर्रुखाबादी से करना, 

न दिल तेरा दुखाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


सजाकर तुझको पलकों पर रखेगा वो हरदम, 

रामनगरिया घुमाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


जो लहंगा पहना था देवदास में अभिनेत्रियों ने, 

वहीं से तुमको दिलाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


नहीं आलू होता कहीं भी फर्रुखाबाद से ज्यादा, 

भुंजे आलू खिलाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


आजादी की लड़ाई में इनके पुरखे भी शामिल थे, 

दुश्मन से बचाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


यहाँ इमारतें हैं शाही और मुगलकालीन मकबरे, 

सारा जनपद घुमाएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


यहाँ की सासें बेटी की तरह बहुओं को रखती हैं, 

न कभी तुमको सताएगा फर्रुखाबाद का लड़का.


बनकर दुल्हन करना सास ससुर की सदा सेवा, 

तुम्हें जीवनभर चाहेगा फर्रुखाबाद का लड़का.


- कवि विशाल श्रीवास्तव


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रचना - परिवार

जहाँ आनंद और ज्ञान का संसार होता है.

सभी को अति प्यारा निज परिवार होता है.

भाई बहनें माँ बाप सभी का प्यार मिलता है, 

परिवार के संग हर दिन एक त्यौहार होता है. 


जब तक साथ रहते हैं न कीमत जान पाते हैं, 

बिछड़ के अपने परिवार से काफी दर्द होता है.

याद आती है चाचा ताऊ और भाभी की, 

दूर रहकर इनसे हरपल हर घड़ी दिल रोता है.


- कवि विशाल श्रीवास्तव 


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