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सत्यव्रत रजक के विचार और छोटी रचनाएं। Satyavrat Rajak Thought And Small Poetry || Sahitya Quotes

यहां नए युवा लेखक और कवि सत्यव्रत रजक के विचार और छोटी रचनाएं दी गई है। हमें उम्मीद है की आप इस नए लेखक के विचारो और रचनाओं को पसंद करेंगे । 


   तुम कितने ताकतवर हो?
    ये अखाड़े नहीं,
    किताबें बताएँगी
    कि तुमने उन्हें कितनी ताकत से पढ़ा।

   ~ सत्यव्रत रजक
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सब लौटता है
लौटते हुए
परंपरागत पीड़ाएँ, उद्विग्न अंश
सब रीतता है घनिष्ठ घन में
रीतते हैं आइनों में रीते मन।

~ सत्यव्रत रजक
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दुनिया का कोई कलाकार सिर्फ़ औरत की मूर्ति बना सकता है, माँ की नहीं।
 
~ सत्यव्रत रजक
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बेटी के विवाह में दहेज विरोधी होने वाला पिता बेटे के विवाह में दहेज लोभी हो जाता है।

~ सत्यव्रत रजक
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लोगों को अपना परिश्रम संघर्ष लगता है और दूसरों का तमाशा।

~ सत्यव्रत रजक
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तुम मिलना 
किसी डूबते सूरज की तरह
एक उम्मीद उग सके
सूरज के उग जाने की।

- सत्यव्रत रजक
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शासक जनता को 
'आम आदमी' कहता है 
क्योंकि आम चूसने वाली चीज़ है।

~ सत्यव्रत रजक
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प्रतिभा अनुवांशिक नहीं होती है, शिकार न मिलने पर शेर भी अपना मज़बूत साहस खो देता है।

~ सत्यव्रत रजक
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एक किसान पकता है पहले
फिर पकती है फसल
फिर व्यापारी पकाता है बातें
और पका ले जाता पका खेत।

पकने-पकाने की क्रिया
शेषत: राख पकाकर छोड़ती है
इसलिए तो अम्मा हाथ जोड़ती है -
बेटा पढ़ो,
मत पको
वरना चूस लिए जाओगे।

- सत्यव्रत रजक 


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