अनुभूति : राजकुमार जैन राजन । आज साहित्य
रचना शीर्षक :अनुभूति
जहाँ होता है
संबंधों का सूर्योदय
वहाँ तुम्हारा होना
अब मुझे आश्चर्य में
नहीं भरता
तुम्हारी मुस्कराहट
घोलती रहती है
प्यार की खुशबू
अन्तस् में छा जाती है
जिससे स्वर्गिक अनुभूति
भावनाओं का मंजर
अकेला नहीं होता
सतरंगी दुनिया में,
तुम्हारे वजूद का संगीत
अनन्त निरंतरता में
गूंजता रहता है पल-पल
और मैं
तुम्हारे होने के अहसास से
तृप्त
साँसों की सरगम
सुनता रहता
प्रकृति की हो
या किसी प्रेमी की
एकाधिकार
टूटने की आवाज
सुनाई नहीं देती
कभी भी!
लेखक : राजकुमार जैन राजन
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