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चलो, फिर से जी लें : राजकुमार जैन राजन । आज साहित्य

 

रचना शीर्षक : चलो, फिर से जी लें 

तुमने दिए थे जो 
गुलाब
आज भी सहेज रखे हैं मैंने
अपने दिल की किताब में
जिसकी खुशबू
यादें बन महकती रहती है 
हर पल 

अच्छा लगता था
तुम्हारे इंतज़ार में
भावपूर्ण प्रेम-पत्र लिखना
पढ़कर उन्हें
कई-कई बार 
खुद ही
मन्द-मन्द मुस्करा देना

जब दर्द का  
कोई अहसास
उतरता था दिल में
एक मासूम-सी ख्वाहिश बन
हर खुशी को समेटे
तुम चले आते थे
मेरे मन के द्वार पर

खोई मोहब्बत
दबे पाँव आ धमकती है
दिल के सुने कोनों में
जज्बात के ताने-बाने
समेटकर कर
पुराने पड़ चुके प्रेम पत्रों को 
फिर से सहेज लें

समय की उधेड़बुन में
हम खो न जाएं
चलो, फिर से जी लें
प्यार के उन पलों को
जो दिल में सजे सपनों को
सावन-सा महका दे
इस जीवन में
चमक भर दे सितारों-सी
फ़िर से
चलो एक बार जी लें।

लेखक : राजकुमार जैन राजन 

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