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रचनाकार एवं लेखक गुरुदीन वर्मा की रचनाएँ ।

 


(1) रचना शीर्षक - हम यह दीपावली , ऐसे मनाये 


हम यह दीपावली, ऐसे मनाये ।

ऐसे कुछ घरों में भी, दीपक जलाये ।।

रहते हैं बेघर जो, भूखे और प्यासे ।

उनको भी बांटे खुशियां, गले हम लगाये ।।

हम यह दीपावली ---------------------।।


जलाये नहीं दिल ,इस दिन किसी का।

करें सम्मान हम , इस दिन सभी का ।।

किसी को समझकै दुश्मन, दूरी ना बनाये।

माफ उनको आज करके , सीने से लगाये ।।

हम यह दीपावली----------------।।


आये नजर जो भी , मन से उदास चेहरा।

किसी मुफलिस का घर , जहाँ हो अंधेरा ।।

करे आबाद उनको,अपने संग हंसाये ।

मिलेगी दुहा इनसे , दिल से लगाये ।।

हम यह दीपावली ---------------------।।


सरहद पे रक्षा वतन की , जो कर रहे हैं।

अपनी हिफाजत इस दिन , वो कर रहे हैं ।।

दुहा उनके लिए मांगे,उनको नहीं भूलाये।

रोशन रहे वो हमेशा , गीत यह भी गाये ।।

हम यह दीपावली ----------------------।।


रचनाकार एवम लेखक - 

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद


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(2) रचना शीर्षक - बच्चों सम्भल लो तुम 


यही है उम्र तुम्हारी ,  जरा संवर लो तुम ।

यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।।

यही है उम्र तुम्हारी-----------------।।


समझा नहीं है जिसने, वक्त की फरियाद को ।

वह रोया है बहुत , याद करके बाद को ।।

मिलता नहीं है कुछ भी , मेहनत किये बिना ।

हिम्मत के बल पर , झुका दिया है पहाड़ को ।।

बहाकै आज पसीना ,किस्मत बना लो तुम ।

यह वक्त फिर न आयेगा, बच्चों सम्भल लो तुम ।।

यही है उम्र तुम्हारी --------------------।।


हाथों के हिण्डौलों पे , तुम न मौज उड़ाओ ।

फूलों की सेज छोड़कर , मैदान में आवो ।।

किस्मत पे कर भरोसा, तुम न वक्त गंवाओ ।

सपनों की दुनिया छोड़कर , तुम होश में आवो ।।

सागर को पार करना है , किश्ती सजालो तुम ।

यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों सम्भल लो तुम ।।

यही है उम्र तुम्हारी ---------------------।।


अपने गुरू की बात का , बुरा नहीं मानो ।

माँ बाप से बड़ा इन्हें , भगवान तुम जानो ।।

इनके चरण की रज को छूकर , ज्ञान को पालो ।

अपमान नहीं इनका तुम, सम्मान पहचानो ।।

अंगुली पकड़कै इनकी , मंजिल को पालो तुम ।

यह वक्त फिर न आयेगा , बच्चों संभल लो तुम ।।

यही है उम्र तुम्हारी ---------------------।।


रचनाकार एवम लेखक - 

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आजाद 


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(3) रचना शीर्षक - किसी ज्योति ने मुझको यूँ जीवन दिया


किसी ज्योति ने मुझको, यूँ जीवन दिया ।

गुम अंधेरों में था , मुझको रोशन किया ।।

किसी ज्योति ने मुझको-------------।


पैदा उस घर हुआ , थी गरीबी जहाँ ।

काँटे थे हर कदम , नहीं सुविधा जहाँ ।।

जीवन खुशियों से शिक्षा ने , तब भर दिया ।

किसी ज्योति ने मुझको ----------------।


जग की रस्मों रिवाजों से,अन्जान था ।

ना कोई शौक था  , इतना नादान था।। 

कुछ सपनों ने मुझको, जगा तब दिया ।

किसी ज्योति ने मुझको ----------------।


महके गुलशन मेरा , ऐसा हमदम मिले।

घर हो आबाद मेरा, प्यार खुशियां मिले ।।

मुकम्मल मेरे सपनों को, उसने कर दिया ।

किसी ज्योति ने मुझको ----------------।


रचनाकार एवम लेखक - 

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद 

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