शायरी / गजल / नज्म - शायर बाबर । आज साहित्य
शायरी / नज्म
मैं तेरे लबों की हसी ढूँढता हूं
मैं खुद मे तेरी खुशी ढूँढता हूं
के गुल न हो तेरी जिन्दगी से खुशियां
मैं ऐसी कोई रौशनी ढूँढता हूं
बिन तेरे एक पल ना जीना ग्वारा
मैं तुझ मे ही आपनी जिंदगी ढूँढता हूं
जो तेरे लिए तरसे हर लमहा हर एक पल
मैं इन आँखों मे आयेसी नमी ढूँढता हू
बिन तेरे ना हो मेरा एक पल भी गुजारा
इस जंहा मे मैं ऐसी कोई ज़मी ढूँढता हूं
जो मेरी मोहाबत को ज़िन्दगी समझे अपनी
बाबर मैँ ऐसी कोई हमनासी ढूंडता हू
- शायर बाबर
दरभंगा बिहार
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