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आदाब । सर्वेश शर्मा


 .शीर्षक ~~ आदाब

सर्वेश की कलम से एक नज्म

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आपका चेहरा

             और उसको आदाब

हिचकियाँ मेरी

                और आपकी याद


   स्याह रातें हैं मेरी

             और आपके ख्वाब

नूरानी है चेहरा

            और है दिल वर्वाद


और कितने सितम

             हमपे करोगे जनाब

मासूम चेहरा है मेरा

             एक खुली किताब


विन आपके है मेरा

         जीने का ये अंदाज

नदी के किनारे है दो

      दरम्यान अश्कों का वहाव


वीत गई ये जिंदगी

         हो न सका हिसाब

देखा  पल भर उन्हे 

    हम तड़फे है उम्र वेहिसाब


जल जाऐगा ये वदन

          न जलेंगें दिल के दाग

जो थे मेरा कल

           वो है किसी के आज


दिल लगाना और सताना

        सता के छोड़ जाना 

    ये तो रहा है सदा

        हुस्न वालो का मिजाज


टूट जाती हैं तारें,वीणा,

    दिल का टूट जाता है साज 

प्यार में दिल को है मिला

           सिर्फ कांटो का ताज 


तड़पते दिलों का 

            है  ये इक राज 

लफ्जों में  है दर्दो की

            है आहों की आवाज 


जिस्म से रूह निकलके

               भी आवाज देगी यहीं

ऐ हुस्ने जाना तुझे

           आदाब, है तुझे आदाब


    लेखक सर्वेश शर्मा बठिंडा पंजाब.

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