दीवाली पर महंगाई - विशाल श्रीवास्तव
शीर्षक - दीवाली पर महंगाई
मंहगाई की मार सही तो आई घर में कंगाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
तेल ने तेल निकाला सबका चीनी ने हद कर डाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
खेतों में फसल सड़ गई किस्मत पड़ गई काली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
दीप पर्व पर महंगाई से बचा अंधेरा है खाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
चिंतित हो गरीब देता है निज किस्मत को गाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
हे! राम पधारो अब धरती पर सूख रही आशा डाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
किस्मत ने मारा "विशाल" घर में आई कंगाली,
अब आप बताओ कैसे कोई मनाए दीवाली.
- कवि विशाल श्रीवास्तव
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