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देशभक्ति विचार और स्टेटस नये नये - कवि जितेंद्र सन्यासी द्वारा लिखे गये । आज साहित्य

 


कुछ अच्छे विचार जो आपके जीवन मे कुछ नया सिखा सकते है यह लेखक जितेन्द्र सन्यासी द्वारा लिखे गये है ।

मैं रोटी लिखूं ,और पानी लिखूं....

मैं दर्दों को अपनी, जुबानी लिखूं...

जब तक चलेगी,कलम अब मेरी..

मैं भारत की नव नव, कहानी लिखूं..


 हमनें  गीता दिया, हमनें गंगा दिया..

उसने भारत को केवल,बस दंगा दिया..

उनके जख्मों को हमनें, सहा सीने पर..

फिर भी झुकने, कभी न,  तिरंगा दिया..


 समर्पित शब्द है जिनके, उन्हीं के नाम कर दूंगा..

वतन के वास्ते खुद का, समर्पित प्राण कर दूंगा..

यूं तो किसी के इश्क में, मैं भी दीवाना हूं..

मगर वतन के नाम पर,वो इश्क भी कुर्बान कर दूंगा.


 भूल नही सकता हरगिज,मिले हुए उन घावों को..

बस ठुकराते जाना उनके, झूठे झूठे दावों को..

देश धर्म से पहले आए, इतना ही बस ध्यान रहे..

तोड़ न पाए कोई हरगिज ,भारत के सदभावों को..


 आजादी के हर अक्षर को, दिल से ये सम्मान लिखूं..

मातृभूमि के खातिर सबसे, पहले अपनी जान लिखूं..

राष्ट्रहित के लिए समर्पित, निज अक्षर का ज्ञान लिखूं..

लहू की हर कतरे से अपना, सुंदर हिंदुस्तान लिखूं...


 न शब्द आता है मुझे, न साहित्य का ज्ञान  है..

बस राष्ट्रहित के वास्ते, निज समर्पित प्राण है..

तिरंगे का सम्मान ही, हिन्द का सम्मान है..

भावना गर भक्ति का हो, तो राष्ट्र ही भगवान है..


 यह सभी विचार कवि जितेन्द्र सन्यासी , मधुबनी बिहार द्वारा लिखे गये है , आज साहित्य पर उनको प्रकाशित किया गया है ।

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