निगाहें भी क्या होती है - गुरुदीन वर्मा । आज साहित्य
शीर्षक - निगाहें भी क्या होती है
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निगाहें भी क्या होती हैं ।
जिसे ये देख लेती हैं ।।
वो इनसे छुप नहीं सकता ।
उसे ये खोज लेती हैं ।।
निगाहें भी क्या -----------------।
जुबां ये दिल की होती हैं ।
चाहे लब कुछ नहीं बोले ।।
बात कोई छुप नहीं सकती ।
चाहे कोई भेद नहीं खोले ।।
चाहे तुम कर लो परदा ।
राज ये खोज लेती है ।।
निगाहें भी क्या -----------------।।
अभी कुछ देर पहले तो ।
किसी गम में ये डूबी थी ।।
बड़ी बैचेन थी ये क्यों ।
आंसुओं से भीगी थी ।।
इन्हे अब मिल गया दिलबर ।
देखो ये कितनी हंसती है ।।
निगाहें भी क्या ------------------।।
वतन की शान बचाने को ।
निगाहें सोती नहीं कभी ।।
वतन आबाद रखने को ।
निगाहें थकती नहीं कभी ।।
वतन के दलालों को ।
सजा - ए - मौत देती है ।।
निगाहें भी क्या -----------------।।
रचनाकार - गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
पता - पिण्डवाड़ा , जिला - सिरोही(राजस्थान)
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