दशहरा- कवि विशाल श्रीवास्तव | आज साहित्य
रचना शीर्षक - दशहरा ...
मिटा नफरत को दिल से,
आज मुझको प्यार दो.
मैंने अन्तर्मन का रावण मारा,
तुम शूर्पणखा और ताड़का मार दो.
खत्म करें ये लड़ाई झगड़े,
सुखी हर एक परिवार हो.
मैंने अन्तर्मन का रावण मारा,
तुम शूर्पणखा और ताड़का मार दो.
हम सुधरें औरों को सुधारें,
ज्ञानी और विद्वान बनें.
नफरत त्याग दिलों से अपने,
सबसे अधिक महान बनें.
टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें,
सबको इज़्ज़त और प्यार दो.
मैंने अन्तर्मन का रावण मारा,
तुम शूर्पणखा और ताड़का मार दो.
- कवि विशाल श्रीवास्तव
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