पढिए कवि विशाल श्रीवास्तव की दो रचनाएँ - पापा और महात्मा गांधी ( आन्दोलन )
आप " कवि विशाल श्रीवास्तव " की रचनाएँ पढ रहे है ये पँक्तियाँ व रचनाएँ उनके द्वारा लिखी गई है इस वेबसाइट पर आपको उनकी अनेक रचनाएँ पढ्ने को मिलेंगी ।
-----------------------------------------------------
पहली रचना शीर्षक - बापूजी ( आंदोलन )
बापूजी के देश में, कैसे कैसे लोग.
एक साथ सबको लगा, हिंसा पथ को रोग.
वाणी में विष घोलते, उनके सारे बोल.
गंवा रहे हिंसा में, जीवन ये अनमोल.
हिंसा पथ को त्याग कर, रहो प्रेम से साथ.
बापूजी की सीख से, खाओगे ना मात.
देते शिक्षा श्रेष्ठ हैं, प्यारे बन्दर तीन.
बुराई को त्याग सभी, बनें अच्छाई लीन.
सत्याग्रह के काज में, मिला सभी का साथ.
देख वीरता वीर की, अंग्रेज गये काप.
- कवि विशाल श्रीवास्तव
-----------------------------------------------------
दूसरी रचना शीर्षक :- पापा
हर मुश्किल का हल हैं पापा.
कमज़ोरी में संबल हैं पापा.
पापा ने ही संवारा जीवन,
मेरा आज और कल हैं पापा.
मेरा गौरव अभिमान हैं पापा.
ज्ञान दिया, विद्वान हैं पापा.
सभी समस्याओं से जूझे,
सबसे अधिक महान हैं पापा.
शीतलतामय उपवन हैं पापा.
राहतभरी पवन हैं पापा.
पापा से ही है खुशहाली,
मेरा जीवन धन हैं पापा.
- कवि विशाल श्रीवास्तव
Post a Comment