उधर से आती है एक आवाज़ पहचानी - अशोक कुमार पांडेय । Aaj Sahitya
उधर से आती है एक आवाज़ पहचानी
और भीग जाता हूँ
अपना हाल बताने से पहले पूछते हैं मेरा हाल
मैं देश की राजधानी में हूँ
चौबीस घंटे बिजली
सुरक्षित सड़कें
एक डंडी कम होती है सिग्नल की तो गरियाता हूँ सिस्टम को
तिरालिस दिन बाद उनकी बैठक में बजा था फ़ोन
तिरालिस दिन बाद खुली थी धूल भरी खिड़की
तिरालिस दिन बाद पूछा था उन्होंने दोस्तों का हाल
और आप लोग?
गाढ़ी उदास हँसी में
हिंदी के उस कश्मीरी कवि ने कहा—
ज़िंदा हैं बस
और किताबों से भरी मेरी आलमारी ख़ामोश हो गई।
- अशोक कुमार पांडेय ( Ashok Kumar Pandey )
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