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तुम और हम - डां. सुमिता मिश्रा | Aaj Sahitya

तुम रुआब की बात करते हो

हम असर की बात सोचते हैं 


तुम शोहरत की बात करते हो 

हम इज्जत की बात सोचते हैं 


तुम शौक की बात करते हो

हम जरुरत की बात सोचते हैं


तुम आँकड़ो की बात करते हो

हम इन्सानो की बात सोचते हैं


तुम सुर्खियों की बात करते हो 

हम उजालों की बात सोचते हैं


तुम फतह की बात करते हो 

हम अमन की बात सोचते हैं


तुम ख्वाबों का कारोबार करते हो 

हम हकीकत संवारने की सोचते हैं 


- डां. सुमिता मिश्रा ( Dr Sumita Mishra IAS )


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