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Satyavrat Rajak: सत्यव्रत रजक के मां पर अच्छे विचार और कविताएं यहां पढ़ें

यहां पढ़ने के लिए सत्यव्रत रजक ( Satyavrat Rajak ) की कुछ कविताएं और अच्छे विचार दिए गए है जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी पसंद किए जाते है । आपको यहां पढ़कर भी काफी अच्छे लगेंगे । 


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एक किसान पकता है पहले

फिर पकती है फसल

फिर व्यापारी पकाता है बातें

और पका ले जाता पका खेत।


पकने-पकाने की क्रिया

शेषत: राख पकाकर छोड़ती है

इसलिए तो अम्मा हाथ जोड़ती है -

बेटा पढ़ो,

मत पको

वरना चूस लिए जाओगे।


- सत्यव्रत रजक

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जात, बिरादरी, शोषण 

हाशिए पर टॅगी भाषा

 अगर होगी कविता में 

तो मुझे माफ करना

 ये हमारी दूसरी दुनिया नहीं होगी 

होगी पतन की अगली ही सीढ़ी 

अगली ही पीढ़ी!


- सत्यव्रत रजक

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माँ कभी नहीं गुजरती

वह जिंदा रहती है -

हमारी हर चीख, हर आह

और हर प्रार्थना में


माँ तुम हो

तो ईश्वर की अनुपस्थिति याद नहीं आती

प्रार्थनाएँ ईश्वर तक पहुँचे या न पहुँचे

माँ तक पहुँचती हैं

मेरी भाषा का पहला शब्द 'माँ'

मेरी भाषा की अंतिम जरूरत बनी रहे।


- सत्यव्रत रजक

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दोस्त,

घर में लगीं ईंटें

भली भाँति जानती हैं मजदूर का दर्द


दोनों ही पकाए गए

दोनों ही दबाए गए : ईंट और मजदूर!


▪️ सत्यव्रत रजक

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माँ घर में दबी हुई वह दवा है जो संतान की हर बीमारी पर कारगर है।


  - सत्यव्रत रजक

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एक क्षण और चढ़ता है एक सुबह फूट जाती है,

एक दिन और बढ़ता है एक उमर टूट जाती है.


~ सत्यव्रत रजक

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शासक जनता को 'आम आदमी' कहता है क्योंकि आम चूसने वाली चीज़ है।


~ सत्यव्रत रजक

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दुनिया का कोई कलाकार सिर्फ़ औरत की मूर्ति बना सकता है, माँ की नहीं।


~ सत्यव्रत रजक 

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आदमी बड़ा स्वार्थी होता है, उसे अपने दुःख अक्सर दूसरों से बड़े लगते हैं।


- सत्यव्रत रजक

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उम्मीद है आपको सत्यव्रत रजक की कविताएं और विचार पसंद आयेंगे और आप इस लिंक को अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे । ऐसे ही अच्छी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर आते रहे ।

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