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शब्दों की हेराफेरी- आरती सुधाकर सिरसाट

रचना शीर्षक:- शब्दों की हेराफेरी


रानी  भरें  पानी, 

दासी  करें  आराम....!

फक़ीर  बैठे  सिहासन  पर, 

राजा  बेच  रहा  है  आम....!!


काँटे  महक  रहें  है 

गुलाब  बनकर....!

श्याम  धिरक  रहें  है 

राधा  बनकर....!!


अपनी  मुठ्ठी  में  चाँद 

तारों  को  छुपाया  है....!

गागर  में  सागर  भी 

आज  समाया  है....!!


जमीं  सोच  रही  है  

बन  जाऊं,  मैं  आसमान....!

गिरगिट  कहता  है, 

सभी  इंसान  है  मेरे  समान....!!


आओं  नीम  के  

मीठे  पत्तें  खाते  है....!

मन  की  कड़वाहट 

को  मिटाते  है....!!


 लेखिका - आरती सुधाकर सिरसाट

                 बुरहानपुर मध्यप्रदेश

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