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हम किसान है - जीतेन्द्र मीना' गुरदह' | आज साहित्य

 


रचना शीर्षक  - हम किसान है 


देश की शान है किसान फिर भी ,

राजनीति मे सताया जाता हैं किसान ।


कर्ज के बोझ तले दबते हैं किसान ,

फिर भी देश को पालते है किसान ।


हम कहते भारत भाग्य विधाता है ,

देश का पालन कर्ता अन्नदाता है ।


सदियों से जुल्म सहते हैं किसान ,

हम सबका पेट भरते हैं किसान ।


नेता देंगे किसानों का साथ इसीलिए ,

अपने नेता को चुनते हैं किसान |


- जीतेन्द्र मीना ' गुरदह ' 

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